जीवन में आश्रम की आवश्यकता क्यों होती है? जब भी हम अध्यात्म, साधना या आत्मिक विकास की बात करते हैं, तो एक शब्द प्रमुख रूप से सामने आता है — आश्रम । प्राचीन भारतीय परंपरा में आश्रम न केवल शिक्षा और साधना का स्थान था, बल्कि जीवन के चार महत्वपूर्ण चरणों (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम) का भी प्रतिनिधित्व करता था। आज के समय में भी आश्रम का महत्व कम नहीं हुआ है। यह शांति, आत्मिक उन्नति और मानसिक संतुलन का एक मजबूत आधार प्रदान करता है। आइए समझते हैं कि जीवन में आश्रम की आवश्यकता क्यों होती है। आश्रम: आत्मिक शांति का केंद्र वर्तमान जीवनशैली में जहाँ भागदौड़, तनाव और प्रतिस्पर्धा ने जीवन को जकड़ लिया है, वहाँ एक आश्रम ऐसी जगह है जो व्यक्ति को आंतरिक शांति का अनुभव कराता है। आश्रमों का वातावरण ध्यान, साधना और सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है, जहाँ व्यक्ति खुद के भीतर झाँक सकता है और मानसिक रूप से स्वस्थ बन सकता है। आध्यात्मिक मार्गदर्शन की आवश्यकता जीवन में कई बार हम भटक जाते हैं या निराशा से भर जाते हैं। ऐसे समय में आश्रम में जाकर साधु-संतों और गुरुजनों से मार्गदर्शन लेना अ...